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लेखनी प्रतियोगिता -07-Jan-2024"मुलाक़ात"

           "मुलाक़ात"

याद है वो मिलन भी वो मुलाक़ात भी याद है। 
तेरे मेरे बीच की आधी अधूरी बात भी तो याद है।। 

वो मुलाक़ात आज भी ना पूरी करती शाम है। 
अनकहे जज़्बात मन की टिज़ोरी में बंद और बदहबास है।। 

लौट कर जब देखती गुजरे ज़माने के फेर को। 
जलती हुई आग में राख हुई हर बात है।। 

समझा सकी ना मैं तुझे हालात की वो घात है। 
सब्र और बेबसी की कैसी यह सौग़ात है।। 

सागर भी मिल जाए तो कहाँ ख़तम होती प्यास है। 
दबी है जो होठों पे सुर्ख़ि वो मुलाक़ात की  प्यास है।। 

सारे जहाँ का चमन भी मिल जाए तो बेकार है। 
आँखों की वीरांगी को बस तेरी इबादत की दरकरार है।।

आधी अधूरी मुलाक़ात की पीर सर- ए- बाज़ार है। 
कैसे गुज़ारे ख़ुद को हम रस्ता भी ना अब याद है।।

मधु गुप्ता "अपराजिता"





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5 Comments

Pranav kayande

09-Jan-2024 04:28 AM

amazing

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Gunjan Kamal

08-Jan-2024 07:57 PM

बहुत खूब

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खूबसूरत भाव

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